यह सिवनी जिला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। सिवनी जबलपुर संभाग के अन्तर्गत आता हैऔर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 यहाँ से होकर जाता है। इसके उत्तर में जबलपुर जिला , मंडला जिला व नरसिंहपुर ज़िले हैं, पूर्व में बालाघाट, पश्चिम में छिंदवाड़ा जिला और दक्षिण में नागपुर (महाराष्ट्र) है। seoni ki jansankhya total 1,02,343, (2011 ) सिवनी की कुल जनसंख्या १,०२,३४३ है।
सिवनी ज़िले को 8 (आठ ) तहसीलों में बांटा गया है, जिसमे सिवनी, लखनादौन, केवलारी, घंसौर, छपारा, बरघाट, कुरई और धनौरा भी है। सिवनी जिले को 4 विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित किया गया है,जो है - सिवनी, बरघाट, केवलारी और लखनादौन। जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यह जनजातीय बाहुल है। छ्पारा गोंड राजा राम सिंह की गढ़ी है। पेंच नेशनल पार्क , यही मोगली की जन्म स्थली अमोदा गढ़,सिद्ध घाट, सुकला डेम,और एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मिट्टी से बना भीमगढ़ डेम पर्यटन स्थल भी इसी जिले में स्थित है। सिवनी मध्यप्रदेश का सबसे प्यारा जिला है बिलकुल पर्यावरण से जुड़ा हुआ।सिवनी को मध्यप्रदेश का लखनऊ के नाम से भी जाना जाता है। अत्यधिक वर्षा होने के कारण इसे मध्यप्रदेश का चेरापूंजी भी बोला जाता है। और हम भी यहीं के निवासी है। आध्यात्मिक क्षेत्र मे भी सिवनी जिला अपनी विशेषता रखता है। यहाँ स्थित मठ मंदिर को आदि गुरु शंकराचार्य के समय का बना हुआ है जो कि अत्यंत पवित्र स्थल है। और आज भी यहाँ शिव भक्तों की लाइन लगी होती है शिव जी के दर्शन के लिए। द्विपीठ ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्मस्थल भी सिवनी का दिघोरी ग्राम है। जहाँ स्फटिक के शिवलिंग के रूप मे भव्य शिव मंदिर भी मौजूद है। यहाँ हर साल शिव रात्रि के समय मेला लगता है। यह दर्शनीय स्थल यहाँ अत्यंत लोकप्रिय है। इसीलिये हमरी सिवनी को भगवान शिव की नगरी के रूप मे भी जाना जाता है।
सिवनी जिले और उसके आसपास कई महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं,
जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
यहाँ कुछ प्रमुख मंदिरों की जानकारी दी गई है:
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श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी: यह मंदिर दिघोरी गाँव में स्थित है और यहाँ एशिया का सबसे बड़ा स्फटिक शिवलिंग स्थापित है। यह स्थान शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की जन्मस्थली भी है।
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आष्टा का काली मंदिर: बरघाट तहसील के आष्टा गाँव में स्थित यह मंदिर 13वीं सदी में निर्मित हुआ था। मान्यता है कि इसका निर्माण देवताओं द्वारा एक ही रात में किया गया था, लेकिन मुर्गे की बांग सुनने के बाद निर्माण कार्य अधूरा रह गया।
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श्री काल भैरव मंदिर, आदेगांव: आदेगांव में स्थित यह मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है।
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श्री शिवधाम मठघोघरा, लखनादौन: लखनादौन के निकट स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है और धार्मिक आस्था का केंद्र है।
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रिछारिया बाबाजी का मंदिर, धनौरा: धनौरा में स्थित यह मंदिर स्थानीय भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
इन मंदिरों के अलावा भी सिवनी जिले में कई अन्य धार्मिक स्थल हैं, जो आध्यात्मिकता और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं
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