श्री शिवधाम मठघोघरा जिला मुख्यालय से लगभग 60 कि.मी. की दूरी पर है।
श्री शिवधाम मठघोघरा लखनादौन से पश्चिम दिशा में लगभग 10 कि.मी. की दूरी पर ग्राम मठघोघरा है। यह सुप्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। जैसे ही शिवधाम के निकट पहुंचते हैं यहां समतल जगह से थोड़ा थोड़ा निचे की तरफ गहराई है। एसा लगता है कि हम किसी खाई कि तरफ जा रहे है जब हम समतल जगह पर खड़े होकर सामने की तरफ देखते हैं तो ऐसा प्रतित होता है कि सामने कि तरफ सिर्फ जंगल है और कुछ नहीं होगा जैसे जैसे नीचे कि तरफ जाते जातें है आस पास जंगल का ही नजारा देखने को मिलता है पहली बार यहां आने वाले तो थोड़ा भ्रमित हो सकते है कि ये कहा आ गए हम यहां तो सिर्फ जंगल है । पर जैसे ही हम आगे की सीढ़ी उतरते हैं तो आगे का रास्ता साफ दिखाई देने लगता है यहां से नजारा दिखता है हरियाली का पेड़ पोधों का और हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ियों का जी हां ऐसा प्रतित होता है मानो कि पर्वत - पहाड़ों ने हरे रंग का चादर ओढ़ लिया है बहुत ही मनोरम दृश्य होता है यहां का । पर यह नजारा खास मौसम में हि नजर आता है। बारिश के बाद वाले मौसम में यहां का नज़ारा देखने लायक होता है
पहले के समय में यहां का रस्ता थोड़ा दुर्गम था पथरीला रस्ता था। पर अब यहां सीढ़ी बन गई हैं जिससे यहां का रस्ता सुगम हो गया है।
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शिवधाम मठघोघरा,mathghoghra,सिवनी,seoni |
श्री शिवधाम मठघोघरा लखनादौन से पश्चिम दिशा में लगभग 10 कि.मी. की दूरी पर ग्राम मठघोघरा है। यह सुप्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। जैसे ही शिवधाम के निकट पहुंचते हैं यहां समतल जगह से थोड़ा थोड़ा निचे की तरफ गहराई है। एसा लगता है कि हम किसी खाई कि तरफ जा रहे है जब हम समतल जगह पर खड़े होकर सामने की तरफ देखते हैं तो ऐसा प्रतित होता है कि सामने कि तरफ सिर्फ जंगल है और कुछ नहीं होगा जैसे जैसे नीचे कि तरफ जाते जातें है आस पास जंगल का ही नजारा देखने को मिलता है पहली बार यहां आने वाले तो थोड़ा भ्रमित हो सकते है कि ये कहा आ गए हम यहां तो सिर्फ जंगल है । पर जैसे ही हम आगे की सीढ़ी उतरते हैं तो आगे का रास्ता साफ दिखाई देने लगता है यहां से नजारा दिखता है हरियाली का पेड़ पोधों का और हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ियों का जी हां ऐसा प्रतित होता है मानो कि पर्वत - पहाड़ों ने हरे रंग का चादर ओढ़ लिया है बहुत ही मनोरम दृश्य होता है यहां का । पर यह नजारा खास मौसम में हि नजर आता है। बारिश के बाद वाले मौसम में यहां का नज़ारा देखने लायक होता है
पहले के समय में यहां का रस्ता थोड़ा दुर्गम था पथरीला रस्ता था। पर अब यहां सीढ़ी बन गई हैं जिससे यहां का रस्ता सुगम हो गया है।
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यहां पहाडी के बीच में एक गहरी गुफा है जो कुदरत का करिशमा है पहाडी जो कि चट्टानो युक्त है फिर यहां गुफा कैसे और कब बनी कुछ भी कैहना संभव नही है ,गुफा ऊचाई इतनी है कि लोग आसानी से यहां घुम सकते हैं इस गुफा मे पहले के समय में यहां दो - तीन संत रहा करते थे शायद आज भी कोई होंगे वहां भगवान शिव जी कि पूजा अर्चना के लिए। यहां स्थित भगवान शिव जी की मूर्ति एवं शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है। यहां पर हमेशा पहाड से जलधारा एक गहरे कुंड में गिरती है। यहां पर हर साल शिवरात्रि पर बहुत अच्छा मेला लगता जो लगभग एक सप्ताह का लगता है। यहां पर वनों की अधिकता है। ऊचे ऊचे पहाड एवं घने वृक्ष मन को मोह लेते है। यहां पर बहुत से लोग पिकनिक मनाने हमेशा आते जाते रहते है। और यहां के ग्राम निवासी भी खास पर्व पर यहां स्नान करने और शिव जी पर जल चढ़ाने आते हैं।
यहां स्वंय के वाहन से जाया जा सकता है। यहां पर पर्यटन की संभावनायें है
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