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आइये रोजाना करें सूर्य नमस्कार और दूर करें शरीर के सभी विकार 

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सूर्य नमस्कार बहुत से आसनों का एक समूह होता है। जो योग का ही अंग है जब भी हम योग की ओर आगे बढ़ते है तो हम को इन्ही आसनों के समूह से गुजरना होता है इसमें बारह आसान होते हैं।

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 इन आसनों का नियमित अभ्‍यास से हमारे शरीर को फायदा होता है और रोग से लड़ने के लिए हमारे शरीर को छमता प्रदान करता है । सूर्य नमस्कार करने से शरीर में रक्त संचार अच्छी तरह से होता है और इसी लिए ऑक्सीजन का संचार भी अच्छी तरह से होता हे पूरे शरीर में और रक्त प्रवाह अच्छा होता है तो यह ब्लड प्रेशर की  प्रॉब्लम में आरामदायक होता है। यह आसान वजन कम करने में भी सहायक है। सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर को कई रोगों से छुटकारा मिल जाता है। Weight Loss for yoga
शुरू में इन आसनों के करने से शरीर में थोड़ी हलचल बढ़ेगी थोड़ा शरीर में दर्द भी रहेगा पर इन सब प्रॉब्लम से डरना नहीं है  ये नार्मल बात हे हम जब कोई अभ्यास नहीं करते हैं तो हमारे शरीर की नसे थोड़ी टाइट हो जाती है  नसों में कड़ा पन आ जाता है ये बातें हमको नज़र नहीं आतीं पर जब हम योग या कुछ अभ्यास करना शुरू करतें हे तो हमारे शरीर में रक्त संचार बढ़ता हे,नशों में लचीला पन आता है और जब भी कोई बदलाब होते है  शरीर में तो थोड़ा दर्द थोड़ी जकड़न जैसी समस्या हो सकती है जो जल्द ही ठीक भी हो जाती हैं 
सूर्य नमस्कार करते समाय 12 मंत्रों का भी उच्चारण किया जाता है। मंत्र उच्चारण करने से मन में एकाग्रता बानी रहती  है जिससे योग आसान का और भी अच्छा इफेक्ट पड़ता है शरीर पर । 
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आइये अब हम जानते हैं कि सूर्य नमस्कार के 12 कौन-कौन से आसन है ।

1. प्रणाम मुद्रा 2. हस्त उत्तानासन 3. पाद हस्तासन 4. अश्व संचालन आसान 5. पर्वतासन  6. अस्टांग आसान  7.भुजंगासन    8. पर्वतासन    9.अश्व संचालन आसान    10.हस्त आसान   11.हस्त उत्तानासन   12.  प्रणाम मुद्रा

ये रहे पुरे12 आसान जो सूर्य नमस्कार के समूह है  अब हम इन आसनों को पूरी जानकारी के साथ पढ़ेंगे डिटेल के साथ चलिए शुरू करते है प्रणाम मुद्रा से ।

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 सूर्य नमस्कार के 12 आसान

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प्रणाम आसन

इस आसन में दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में रखते हुए सीधे खडे होते है इस प्रणाम आसन में सूर्य को नमस्कार किया जाता है साथ ही "ॐ मित्राय नमः" मंत्र का जाप किया जाता है इन

हस्त उत्तानासन

इस आसन में मुंह को बंद रखेंगे और नसिका से गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सीधा करते हैं फिर धीरे-धीरे शरीर को मोड़ते हुए दोनों हाथों को पीछे ले जाते हैं गर्दन को भी थोड़ा पीछे ले जाते हैं जिससे शरीर एक धनुष आकृति में आ जाता है यही स्थिति हस्तोत्तानासन कहलाती है जो कि सूर्य नमस्कार की दूसरी स्थिति है
इसके साथ ही " ॐ रवये नमः " का जाप किया जाता है

पादहस्तासन

इस आसन में अपने दोनों हाथों को धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकाते हुए सीधे नीचे की तरफ पैरों के पास ले जा लेते हैं और अपनी सांस को भी धीरे-धीरे छोड़ते जाते हैं और " ॐ सूर्याय नमः " मंत्र का जाप करे
ध्यान रहे हाथों से धरती को स्पर्श करना है और अपने दोनों घुटनों पर ध्यान रखें कि घुटने ना झुकने पाए एकदम सीधे रहना चाहिए और ध्यान मणिपुरम चक्र पर केंद्रित करना चाहिए

अश्व संचालनासन

इस आसन में पादहस्तासन की स्थिति से एक पैर पीछे की ओर ले जाया जाता है इस स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि हम बस दौड़ लगाने के लिए सिटी बजने का इंतजार कर रहे हैं सिटी बजी और हम दौड़ जाएंगे इस तरह पोजीशन बनाकर इस आसन में रहना है
और " ॐ भानवे नमः " मंत्र जाप करें।

सूर्य नमस्कार in english 

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दण्डासन

इस आसन में दोनों हाथों पर अपने आप को स्थिर करना है और पैरों के दोनों पंजे भी खड़े होना चाहिए उंगलियां धरती पर टिकी होना चाहिए और दोनों एड़ियां आपस में मिली होना चाहिए अपने नितंबों को भी ऊपर रखना चाहिए धरती से दूर अथपर कहा जा सकता है।
इस आसन के साथ " ॐ खगाय नमः " मंत्र जाप करें ।

अष्टांग आसन

अष्टांगा आसन में आपको धरती पर लेटना है उसके बाद कमर को ऊपर करना / कमर उठानी है और छाती को धरती पर रहने दें माथा भी धरती पर लगा रहे कमर और नितंब ऊपर की ओर उठाना है ।
इस आसन में " ॐ पूषणे नमः " मंत्र जाप करें

भुजंगासन

भुजंगासन में शरीर को ऊपर की ओर ले जाना है पर दोनों हाथों को जमीन पर ही रखना है दोनों हाथ जमीन पर रहेंगे शरीर ऊपर की तरफ रहेगा, कमर और नितंब वाला हिस्सा भी धरती पर रहेगा पैर व पंजे धरती से सटे रहेंगे बाकी कमर से ऊपर का भाग व सिर ऊपर रहेगा हाथों के बल यह स्थिति है भुजंग आसन की है।
और इस आसन में " ॐ हिरण्यगर्भाय नमः " मंत्र जाप करें।

पर्वतासन

इस आसन में शरीर को पर्वत की तरह बना रहा है पर्वत की आकृति दिखना चाहिए इसके लिए हम भुजंगासन से सीधे अपनी गर्दन नीचे करते हुए कमर और नितंब को ऊपर की ओर उठाएंगे आसमान की तरफ उठाएंगे ताकि एक पर्वत जैसा का हमारे शरीर से बन जाए ध्यान रखने योग्य बात यह है कि हमारे दोनों घुटने मुड़ने नहीं चाहिए सीधे रहना चाहिए बिल्कुल और हाथ भी नहीं मुड़ना चाहिए अब हमारी जो पोजीशन है वह एक पर्वत की आकृति जैसा है यही स्थिति पर्वतासन है ।
इस आसन में‌ " ॐ मरीचये नमः " मंत्र का जाप करें ।

अश्व संचालनासन

अश्व संचालनासन में लंबी सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएंगे गर्दन ऊपर की ओर ले जाएंगे एक हाथ आगे एक हाथ पीछे दोनों हाथ जमीन पर और गर्दन आसमान की तरह जैसे कि हम पहले भी बता चुके हैं कि हम किसी रेस में दौड़ने का इंतजार कर रहे हैं इसी पोजीशन में कुछ देर ठहरना चाहिए उसके बाद दूसरा स्टेप लेना चाहिए ।
" ॐ‌ आदित्याय नमः " मंत्र जाप करें ।

हस्तासन

इस आसन में अश्व संचालनासन से उठते हुए जो पैर पीछे था उसे आगे ले आते हैं और गर्दन नीचे की ओर झुकी रहती है कमर और नितंब वाला हिस्सा ऊपर रहता है और हाथ और पंजे दोनों जमीन पर सटे रहते हैं यही स्थिति हस्तासन कहलाती है। इसके साथ ही " ॐ सवित्रे नम: " मंत्र जाप करें।

हस्तोत्थानासन

अब इस आसन में सांस भरते हुए दोनों हाथों को और गर्दन को पीछे की ओर ले जाते हैं आसमान की तरफ देखते हैं और जितना हो सकता है उतना पीछे की ओर झुकते है धनुष आकृति में जैसे कि हम ठीक दूसरे आसन पर थे उसी पोजीशन में खड़े होना चाहिए
और " ॐ अर्काय नम: "  मंत्र जाप करें।

प्रणाम मुद्रा

इस मुद्रा में हम ठीक वैसे ही खड़े हो जाएंगे जैसा हम प्रणाम आसन पर खड़े हुए थे जो कि सूर्य नमस्कार का पहला आसन है ठीक वैसे ही पोजीशन में खड़े होकर सूर्य को नमस्कार या प्रणाम करेंगे यह विश्राम की अवस्था रहती है सीधे खड़े हो जाते हैं दोनों हाथों को जोड़ा जाता है और " ॐ भास्कराय नमः " मंत्र जाप करें, यह प्रणाम की मुद्रा सूर्य नमस्कार के 12 आसनों की आखरी स्थिति है ।

सूर्य नमस्कार संबंधी कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर


प्रशन- सूर्य नमस्कार और कपालभाति कौन सा योग पहले करना चाहिए?
उत्तर- सर्व प्रथम सूर्य नमस्कार करना चाहिएं उसके बाद कोई आसन य प्रणायाम करना चाहिए ।

प्रशन- 7 साल का बच्चा सूर्य नमस्कार कर सकता है क्या ?
उत्तर- हां, अगर बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है तो वह भी सूर्य नमस्कार कर सकता है ।
पर अगर बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो आप पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और उसके बाद कोई योग करें ।

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